स्वामी विवेकानंद जी ने 11सितंबर1893 को अमेरिका के शिकागो शहर में अंग्रेज़ी भाषा में संबोधन दिया था। विवेकानंद जी संस्कृत, बांग्ला, फारसी आदि भाषा जानते थे, इन भाषाओं का उन्हें अच्छा ज्ञान था। लेकिन अंग्रेजी भाषा में वह रुचि नहीं रखता था।
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| स्वामी विवेकानंद जी |
वह मानते थे की जिस लुटेरों, आतंकियों ने हमारे मातृभूमि को सताया, क्षति पहुंचाई है, उन्ही लुटेरों की बोलीं जाने वाली भाषा को मैं महत्व दूं। तो वह मेरे लिए पाप ही होगा। वह इन भाषाओं को उतना महत्त्व नहीं दिया, जितना उन्होंने अपने मातृभाषा को दिया।
स्वामी विवेकानंद जी का अनमोल विचार को पढ़े।
फिर बाद में उन्हें लगने लगा की अपने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को प्रचार–प्रसार के लिए इन भाषाओं को जानना जरूरी है, तो उन्होंने अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया।और भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रचार–प्रसार किया। उनकी छवि भारतवासियों में वस्ती है।


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