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जीएसएलवी रॉकेट से 'निसार' उपग्रह को प्रक्षेपित। 'NISAR' satellite launched from GSLV rocket



 इसरो और नासा के बीच साझेदारी के तहत बुधवार को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट से 'निसार' उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया. इसके साथ ही दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित 'निसार' पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जायेगा. चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण स्थल से प्रक्षेपण यान ने बुधवार शाम 5:40 बजे उड़ान भरी. जीएसएलवी रॉकेट लगभग 19 मिनट की यात्रा के बाद उपग्रह को सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में 745 किमी की ऊंचाई पर स्थापित करेगा.


नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह को वैश्विक स्तर पर माइक्रोवेव इमेजिंग के उद्देश्य से विकसित किया गया है और इसमें नासा द्वारा उपलब्ध कराया गया एल-बैंड रडार और इसरो द्वारा डिजाइन किया गया एस-बैंड रडार है, जो पूर्णतया पोलरिमेट्रिक और इंटरफेरोमेट्रिक डेटा प्राप्त करने की क्षमता रखता है. मिशन का उद्देश्य अमेरिका व भारत के वैज्ञानिक समुदायों के साझा हित के क्षेत्रों में भूमि और हिमनद की गतिविधियों, भूमि पारिस्थितिकी तंत्र और महासागरीय क्षेत्रों का अध्ययन करना है.


                               निसार पूरे विश्व से डाटा एकत्र करेगा और इसका इस्तेमाल व्यावसायिक तथा वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किया जायेगा. इसरो इस डाटा का प्रसंस्करण करेगा और इसका अधिकांश हिस्सा ओपन सोर्स के रूप में उपलब्ध करायेगा, ताकि दुनिया भर के उपयोगकर्ता इसे आसानी से प्राप्त कर सकें. यह उपग्रह हर 12 दिनों में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा और दिन-रात, हर मौसम में उच्च-रिजॉल्यूशन वाला डेटा प्रदान करेगा. जीएसएलवी-एस 16 रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. और 2,393 किग्रा किलोग्राम वजनी उपग्रह को लेकर रॉकेट उड़ा। 


मिशन का उद्देश्य


1 भूस्खलन, ज्वालामुखी भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं का अनुमान


वनों की कटाई, शहरीकरण व जलवायु परिवर्तन की निगरानी


३, कृषि, भूजल और मिट्टी की नमी पर डेटा संग्रह


4 ग्लेशियर, समुद्र स्तर और कार्बन चक्र पर वैज्ञानिक अध्ययन

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